Yusuf

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लेखनी प्रतियोगिता -02-Apr-2024

ये दिल हुआ कितना हस्सास 


सारा दिन उदास था, और उदास है आज की शाम
न दिल को चैन है, न मन को है आराम।

हर एक पल बीत रहा है और वक़्त का हो रहा है क्षय
एक पल का दूसरे पल में, सहजता से हो रहा विलय।

तरब अफ़्जा कोई बात न थी, बात थी वारिदाते क़ल्ब की 
फिर कोई मुज़्महिल भावना, मन में आकर यकलख़्त रुकी।

जो भी ज़िंदगी मिली वह ख़ारज़ार में ही गुजरी 
मरासिम किसीसे रहा नहीं, सभी ने बनाई मुझसे दूरी।

उदास है आजकी शाम, और दिन भी है उदास-उदास
शाम की उदास बेला में, ये दिल हुआ कितना हस्सास।

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4 Comments

Mohammed urooj khan

16-Apr-2024 12:30 PM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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Gunjan Kamal

03-Apr-2024 12:29 AM

👏🏻👌🏻

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HARSHADA GOSAVI

02-Apr-2024 08:12 PM

V nice

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